सिवनी ।जिले में चोरी की घटनाएं बढ़ रहीं हैं,आलम ये है कि बीते 15 दिनो के दौरान 14 चोरी हो चुकी है,लेकिन पुलिस चोरी जैसी वारदातों का भी खुलासा कर पाने में नाकाम साबित हो रही है,जिले के लोगों में दहशत है और वह पुलिस की सक्रियता पर सवाल उठा रहे हैं। पिछले छह माह की अगर बात करें तो इस दौरान चोरी के लगभग 100 के आसपास मामले पुलिस ने दर्ज किए लेकिन, चुनिंदा मामलों को छोड़कर किसी का खुलासा नहीं हुआ। पुलिस ने जिन चोरियों के खुलासे भी किए उनमें एफआईआर में दर्ज रकम के मुताबिक बरामदगी भी नहीं कर सकी । चोरी करने के बाद बदमाश
आराम से गायब हो रहे हैं। पुलिस सिर्फ लकीर पीटने का ही काम कर रही है। पुलिस के इस अंदाज से चोरों के हौसले नज़र आ रहे हैं। हाईटेक बदमाशों से लोहा लेने का दावा करने वाली सिवनी पुलिस, घरों का ताला तोड़ने वाले चोरों तक से निपटने में नाकाम साबित हो रही है। पिछले छै माह की ही बात करें, तब इस दौरान जिले के 8 थाना क्षेत्रों में चोरी के लगभग 100 के आसपास मामले दर्ज हुए लेकिन, पुलिस किसी भी बड़े मामले का खुलासा अब तक नहीं कर पायी है,पुलिस की लापरवाही का आलम ये है कि चोरी करने के बाद शातिर चोर आराम से गायब हो रहे हैं और पुलिस सिर्फ लकीर पीटने का ही काम कर रही है। एक तरफ शहर की कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने और अपराधियों पर शिकंजा कसने को लेकर पुलिस के आला अधिकारी बड़े-बड़े दावे कर रहे है वहीं दूसरी तरफ अनसुलझी चोरियां पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बनी हुईं हैं। चोरी-नकबजनी की वारदातों में पुलिस पिछले 2 सालों से लगाम नही लगा पा रही है। चोर आए दिन घरों के साथ व्यापारिक प्रतिष्ठानों एवं धार्मिक स्थलों को निशाना बना रहे हैं। जिले में गश्त से लेकर घटना के बाद सुराग जुटाने में भी पुलिस का बेहद लापरवाह रवैया भी कई सवाल खड़े कर रहा है।
शहर में पुलिस गश्त के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। चौक-चौराहों पर चेकिंग पाइंट लगाकर पुलिस वाहनों की चेकिंग, मास्क चेकिंग, हेलमेट चेकिंग कर चालान बनाते हुए तो दिख जाती है, लेकिन, शहर की कॉलोनियों, गली-मोहल्लों और ग्रामीण क्षेत्रों में रात्रि गश्त पूरी तरह से ठप है। गश्त के नाम पर ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी सिर्फ खानापूर्ति कर रहे हैं। डायल 100 वाहन भी एक ही जगह खड़े रहते हैं,वो भी कोई कॉल आने पर ही घटनास्थल पर रवाना होते हैं। पुलिस की इन्ही लापरवाहियों का फायदा उठाकर चोर घरों,दुकानों के साथ-साथ अब भगवान के घरों तक को निशाना बना रहे है। पुलिस के आला अधिकारी भले ही कितने बड़े दावे कर रहे हो लेकिन हकीकत ये है कि शहर में लोगो की सुरक्षा के इंतजाम नाकाफी हैं। थानों के एसएचओ इन वारदातों के सीसीटीवी फुटेज देखकर मामला दर्ज कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर रहे हैं। इससे अनसुलझी चोरियों की फेहरिस्त बढ़ती ही जा रही है और पुलिस दफ्तरों में बैठकर घटनाओं पर काम दस्तावेजो तक ही सीमित नज़र आ रहा है।