डालटनगंज : सात नक्सलियों को सरेंडर कराने की मुहिम में जुटी पुलिस, सभी पर है लाखों के इनाम

डालटनगंज। राज्य सरकार संपूर्ण झारखंड को नक्सल मुक्त बनाने के लक्ष्य में भले ही अभी दूर हो। लेकिन पलामू में नक्सलवाद अंतिम सांसे ले रहा है। पुलिस के दावों पर अगर भरोसा करे तो नक्सल प्रभावित पलामू में अब प्रतिबंधित नक्सली संगठन के केवल सात-आठ सदस्य ही रह गये हैं, जो गतिशील हैं।

वर्ष 2017 में पलामू पुलिस की ओर से नक्सलियों के विरूद्ध धुंआधार अभियान चलाया गया। जिसके साकारात्मक नतीजे देखने को मिले। इस वर्ष पलामू पुलिस ने कुल 59 नक्सलियों को गिरफ्तार किया। बांकी या तो पुलिस के हत्थे चढ़ गये या सरेंडर कर समाज की मुख्यधारा में लौट गये हैं। गिरफ्तार किये गये नक्सलियों में सबसे ज्यादा 30 माओवादी हैं, जबकि 20 टीपीसी और 09 जेजेएमपी के नक्सली शामिल है।

विशेष रणनीति से सफलता

नक्सलियों के खिलाफ मिली इस बड़ी सफलता का श्रेय जिले के पुलिस कप्तान इंद्रजीत माहथा को जाता है। उन्होंने नक्सली अभियान की रणनीति ही बदल डाली। अक्सर नक्सलियों के गढ़ में घुसकर लंबा अभियान चलाने से पुलिस परहेज करती थी, लेकिन माहथा न केवल नक्सली मांद में दाखिल हुए, बल्कि वहां अपना कब्जा भी जमाया। कई सुदूर इलाकों में पुलिस पिकेट स्थापित कर उन्होंने विकास के नये द्वार खोल डाले और नक्सलियों के आंतक को समाप्त कर दिया।

पुलिस अधीक्षक माहथा के अनुसार अब पलामू में 57 वर्षीय कालिका जी, कुंदन यादव, सुरेन्द्र यादव, राकेश भुईयां, अभिजीत यादव, अरविंद भुईयां और संदीप यादव की गतिविधियां चल रही हैं। हालांकि संदीप यादव का ठिकाना अब पड़ोसी राज्य बिहार है, लेकिन वह बीच-बीच में पलामू आकर संगठन के अन्य सदस्यों को बर्गलाने का काम करता है। ये सभी नक्सली ईनामी हैं और इनपर 2 लाख से 25 लाख तक का इनाम घोषित है।

इनामी नक्सलियों की गिरफ्तारी की तैयारी
वहीं, कालिका जी संगठन में जोनल कमांडर हैं और उनपर दस लाख का इनाम है। संदीप यादव बीजेएसएसी के सदस्य हैं और उनपर 25 लाख रुपये का इनाम घोषित है। सुरेन्द्र यादव, राकेश भुईयां पर पांच-पांच लाख और कुंदन यादव पर दस लाख का इनाम घोषित है। सूत्रों के मुताबिक इन सभी इनामी नक्सलियों को आत्मसमर्पण कराने की मुहिम पुलिस ने शुरू कर दी है और जल्द ही कई नक्सलियों के पुलिस के समक्ष सरेंडर करने की संभावना है।

विश्वसनीयता के कारण मिली कामयाबी

पुलिस अधीक्षक इन्द्रजीत माहथा ने बताया कि नक्सलियों और अपराधियों के खिलाफ जो कामयाबी पलामू पुलिस को मिली है, उसका सबसे अहम कारण है विश्वसनीयता। देखा जाये तो वर्ष 2017 में पलामू पुलिस की सबसे बड़ी उपलब्धि विश्वसनीयता ही रही है। यह मुहिम 2018 में भी जारी रहेगा।

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