
भोपाल : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा सिर्फ कागजों की शोभा बढ़ा रही है इसके कई उदाहरण सूबे में मौजूद है. ऐसा ही एक फैसला 2013 में बने राज्य वस्त्र स्वच्छता मंडल को लेकर किया गया था. राज्य विधानसभा में कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत ने नगरीय प्रशासन मंत्री माया सिंह से पूछा कि मंत्रिपरिषद ने सितंबर 2013 में राज्य वस्त्र स्वच्छता मंडल के गठन का फैसला लिया था, जिस पर राज्यपाल ने नौ जनवरी 2014 को अपने अभिभाषण में शिल्प मंडल और वस्त्र स्वच्छता मंडल के गठन का जिक्र किया था.
माया सिंह ने अपने जवाब में कहा कि मंडल गठन का निर्णय और राज्यपाल के अभिभाषण की बात सही है. अभी इसके अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का मनोनयन नहीं किया गया है. साथ ही उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 से अब तक एक करोड़ 10 लाख रुपये का बजट का प्रावधान किया गया, मगर इसमें से एक रुपया भी खर्च नहीं हुआ है. प्रावधान के लिए जो भी राशि आवंटित हुई उसे समर्पित (सरेंडर) कर दिया गया. इसका साफ शब्दों में मतलब सरकार की लापरवाही है. राज्य वस्त्र स्वच्छता मंडल बीते पांच साल में कोई काम नहीं कर सका है. सरकार की लापरवाही की हद तो तब हो गई जब एक समाज विशेष के विकास के लिए बने मंडल में सरकार पांच साल में कोई अध्यक्ष और उपाध्यक्ष तक को भी नियुक्त नहीं कर सकी है और जवाब भी सीना थोक कर दिया जा रहा है कि पांच साल बाद तक इसके अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का मनोनयन नहीं किया गया है.tra