
नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज से तीन अफ्रीकी देशों रवांडा, युगांडा और दक्षिण अफ्रीका की पांच दिवसीय यात्रा शुरू हो रही है। भारत और चीन दोनों इस बात को जानते हैं कि अफ्रीका एक उभरता हुआ बाजार है। शायद यही वजह है कि चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग अपनी अफ्रीका यात्रा के दूसरे चरण में दौरान सोमवार को पीएम मोदी से पहले ही रवांडा पहुंच गए। चीन अफ्रीकी देशों में काफी निवेश कर रहा है। अफ्रीकी देशों में चीन के बढ़ते निवेश के बीच पीएम मोदी इस यात्रा को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
रक्षा सहयोग समझौते होने की भी उम्मीद
वैसे बता दें कि पीएम मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं जो रवांडा की यात्रा करेंगे। विदेश मंत्रालय के सचिव (आर्थिक संबंध) टी. एस. तिरुमूर्ति ने बताया कि यात्रा के पहले चरण में पीएम मोदी जब रवांडा पहुंचेंगे तो रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कागामे उनका स्वागत करेंगे। इस दौरान वह प्रतिनिधिमंडल स्तरीय बातचीत करेंगे, किगाली जीनोसाइड मेमोरियल में श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे और व्यापार मंच को संबोधित करेंगे। इसके अलावा वह भारतीय समुदाय के लोगों से भी मिलेंगे। उन्होंने कहा कि इस दौरान एक रक्षा सहयोग समझौते होने की भी उम्मीद है। तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत बहुत जल्द रवांडा में एक मिशन खोल रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के दौरे की एक और महत्वपूर्ण बात रवेरू मॉडल गांव का दौरा कर रवांडा की ‘गिरिंका’ योजना के लिये 200 गायों को तोहफे में देंगे।
पीएम मोदी से पहले राष्ट्रपति चिनफिंग
क्या अफ्रीका में प्रभाव बढ़ाने के लिये भारत और चीन में कोई होड़ हो रही है, क्योंकि मोदी की यात्रा से ठीक पहले चीनी राष्ट्रपति रवांडा पहुंच गए? लेकिन विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम अफ्रीकी देशों के साथ अपने रिश्तों को दूसरे देशों के साथ रिश्ते के नजरिये से नहीं देखते। इसलिए प्रधानमंत्री अफ्रीकी देशों का दौरा कर रहे हैं। वहीं विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘रवांडा, युगांडा और दक्षिण अफ्रीका के दौरे से अफ्रीका महाद्वीप के साथ हमारा संबंध और मजबूत होगा। पिछले कुछ वर्षों में अफ्रीकी देशों के साथ विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण समझौते हुए हैं। पिछले चार साल में हमारे देश के राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री अफ्रीका के 23 दौरे कर चुके हैं।’ मंत्रालय ने बयान में कहा कि भारत की विदेश नीति में अफ्रीका को शीर्ष प्राथमिकता दी गई है।
अफ्रीका उभरता हुआ बाजार
दरअसल, भारत और चीन दोनों इस बात को जानते हैं कि अफ्रीका एक उभरता हुआ बाजार है। ऐसे में अफ्रीकी देशों के प्रति आकर्षण स्वभाविक है। हालांकि भारत इस क्षेत्र में सरल चीनी कर्ज के प्रवाह से सावधान है, जिसने पेइचिंग के बेल्ट ऐंड रोड इनीशिएटिव को गले लगा लिया है। हाल ही में रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि चीन युगांडा को अब तक 3 बिलियन डॉलर का कर्ज दे चुका है, साथ ही बीआरआई स्कीम के लिए 2.3 बिलियन डॉलर को लेकर बातचीत चल रही है। चीन अफ्रीका के जिबाउटी में नेवी बेस भी चलाता है, जिससे इस क्षेत्र में चीन की रूचि दर्शाता है।
चीन पुनर्निमाण के काम में चीन अहम भागीदार बना
चीन अपनी रणनीति के तहत पुनर्निमाण के काम में अफ्रीकी देशों का एक महत्वपूर्ण भागीदार बनकर उभरा है। अफ्रीका के साथ चीन का व्यापार और महाद्वीप में इसका एफडीआई भारत की तुलना में दोगुने से ज्यादा है। हालांकि, पूर्व में भारत पूर्वी अफ्रीका के इस क्षेत्र में अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों की वजह से चीन से आगे रहा है।
चीन अमेरिका को भी अफ्रीका में छोड़ा पीछे
विश्व की शीर्ष दो अर्थव्यवस्थाओं(अमेरिका और चीन) के बीच छिड़े व्यापार युद्ध के समय में शी चिनफिंग की यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है कि चीन अफ्रीका का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार होने के साथ ही अफ्रीकी देशों को हथियार बेचने के मामले में भी अमेरिका को पीछे छोड़ चुका है। भारत इस बात से भी भारत भलीभांति परिचित है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण अफ्रीका की यात्रा के दौरान 10वें ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेंगे, जिसमें अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा समेत कई वैश्विक महत्व के मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है। यह पूछे जाने पर कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच भी द्विपक्षीय मुलाकात होगी। इस पर तिरुमूर्ति ने कहा कि अभी ये तय नहीं है।