
कंपाला: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दुनिया को अफ्रीका के पूर्वी तटों पर सहयोग की जरूरत है, प्रतिस्पर्धा की नहीं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि महाद्वीप फिर से ‘‘ परस्पर विरोधियों की आकांक्षाओं का अखाड़ा ’’ ना बने. उन्होंने साफ तौर पर क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति की तरफ संकेत करते हुए यह बात कही. चीन अफ्रीका का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. उसने पिछले साल जिबूती में अपनी नौसेना के लिए पहला तथाकथित सहयोग शिविर शुरू किया. अफ्रीकी कूटनीति में चीन के बढ़ते निवेश के बीच यह सहयोग शिविर शुरू किया गया जिससे भारत की चिंताएं बढ़ गयी हैं.
अपने अफ्रीकी दौरे के दूसरे चरण के तहत कल यहां पहुंचे मोदी ने आज युगांडा की संसद को संबोधित करते हुए कहा कि भारत अफ्रीका के साथ अपने संबंधों को मजबूत करना चाहता है और ऐसा करने के लिए 10 मार्गदर्शक सिद्धांत रेखांकित किए. उन्होंने किसी देश का नाम लिए बिना कहा , ‘‘ दुनिया को अफ्रीका के पूर्वी तटों और पूर्वी हिंद महासागर के तटों पर सहयोग करने की जरूरत है.
इसलिए हिंद महासागर में सुरक्षा को लेकर भारत की दृष्टि सहयोग और समावेश की है जो क्षेत्र में सबकी सुरक्षा एवं विकास पर आधारित है. ’’ अफ्रीका में दुनिया भर के ताकतवर देशों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच मोदी ने कहा , ‘‘ अफ्रीका फिर से विरोधी आकांक्षाओं का अखाड़ा ना बन जाए बल्कि उसके युवाओं की आकांक्षाओं की पौधशाला बने , यह सुनिश्चित करने के लिए हम सबको मिलकर काम करना चाहिए.’’