
नई दिल्लीः सोमवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के निदेशक मंडल ने 9.69 करोड़ रुपए की अधिशेष पूंजी से संबंधित मुद्दे की जांच परख के लिए एक उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति के गठन का फैसला किया। साथ ही सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र में फंसी परिसंपत्तियों के पुनर्गठन के लिए भी एक योजना पर विचार करने की भी सलाह दी है।
पढ़िए आरबीआई बैठक की मुख्य बातें
आरबीआई के निदेशक मंडल ने बैंक की आर्थिक पूंजी रूपरेखा ढांचे की समीक्षा के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का फैसला किया है। जिसके सदस्यों और संदर्भ शर्तों को भारत सरकार और आरबीआई द्वारा संयुक्त रूप से तय किया जायेगा।
आरबीआई का वित्तीय निगरानी बोर्ड (बीएफएस) उन बैंकों से जुड़े मामलों की जांच करेगा, जिन्हें आरबीआई ने त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) की रूपरेखा के अंतर्गत रखा है।
आरबीआई बोर्ड ने आरबीआई को एमएसएमई के जोखिम में फंसे नींद के पुनर्गठन स्कीम पर भी विचार करने के लिए कहा है।
केन्द्रीय बैंक के निदेशक मंडल ने रिजर्व बैंक को 25 करोड़ रुपए की कुल ऋण सुविधा के साथ छोटे एवं मझोले उद्योगों की दबाव वाली परिसंपत्तियों का पुनर्गठन करने की योजना पर विचार करने का भी सुझाव दिया है।
प्रॉन्प्ट करेक्टिव एक्शन के तहत आए बैंकों के मामले का केन्द्रीय बैंक का फाइनेंशियल सुपर विजन बोर्ड परीक्षण करेगा।
इस बैठक के परिणाम से केन्द्रीय बैंक और सरकार के बीच तनाव में कमी आने की संभावना जताई जा रही है।
रिजर्व बैंक का पूंजी आधार इस समय 9.69 लाख करोड़ रुपए है। रिजर्व बेंक के स्वतंत्र निदेशक और स्वदेशी विचार एस गुरुमूर्ति तथा वित्त मंत्रालय चाहते हैं कि इस कोष को वैश्विक मानकों के अनुरूप कम किया जाना चाहिए।
बैठक में जिस विशेषज्ञ समिति के गठन का फैसला किया गया है वह इस कोष के उचित स्तर के बारे में अपनी सिफारिश देगी।
सूत्रों का कहना है कि बैठक के दौरान किसी भी प्रस्ताव पर मतदान की नौबत नहीं आई।
आरबीआई बोर्ड में कुल 18 सदस्य हैं जिनमें पटेल के अतिरिक्त उनके चार डिप्टी भी शामिल हैं। पटेल के अलावा किसी भी डिप्टी गवर्नर को मतदान करने का अधिकार नहीं है। बोर्ड में दो सरकारी अधिकारी और सरकार द्वारा मनोनीत सात स्वतंत्र निदेशक हैं।