
आइपीएल ने अपना आधा सफर तय कर लिया है और एक बात तय हो चुकी है कि रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर एक बार फिर से चूक जाएगी। हालांकि, वह नॉकआउट में जगह बनाने की कोशिश करने वाली अन्य टीमों का खेल बिगाड़ सकती हैं, लेकिन इस मौके पर उनका खिताब की दौड़ में शामिल होना किसी चमत्कार से कम नहीं होगा। उनकी सबसे बड़ी समस्या उनकी गेंदबाजी है, जो दबाव में बिखर जाती है। जब टिम साउथी जैसे अनुभवी गेंदबाज भी खतरनाक आंद्रे रसेल को मध्यम गति की लेंथ बॉल फेंकने लगें, तो साफ हो जाता है कि अनुभवी खिलाड़ी भी दबाव नहीं झेल पा रहे हैं।
आइपीएल ने यह दिखा दिया है कि कुछ भारतीय खिलाड़ी जो पिछले संस्करणों में कुछ नहीं करने के बावजूद चुने जा रहे हैं, वे सिर्फ मैदान में गिनती बढ़ाने का काम कर रहे हैं। उनका योगदान ना के बराबर ही है। यह सही है कि इस प्रारूप में गेंदबाजी मुश्किल होती है और चार ओवर में वह बहुत ज्यादा कुछ नहीं कर सकते हैं। लेकिन, बार-बार भारतीय गेंदबाज इतने ज्यादा रन खा रहे हैं, जिससे मैच का रुख ही बदल जा रहा है। खासतौर से वे गेंदबाज जिन्हें मोटी रकम देकर खरीदा गया था। इससे फ्रेंचाइजी द्वारा उन्हें चुने जाने पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इससे यह सवाल भी खड़े होते हैं कि वे अपनी गलतियों से कुछ नहीं सीख रहे हैं।
चेन्नई सुपर किंग्स के हाथों हारने के बाद कोलकाता के पास घरेलू मैदान में फिर से जीत हासिल करने का मौका है। वे ईडन गार्डेस में काफी अच्छा खेल रहे हैं और ऐसे में दिल्ली कैपिटल्स के लिए चीजें आसान नहीं होंगी। आंद्रे रसेल ने अब तक शानदार प्रदर्शन किया है और चिदंबरम स्टेडियम में विकेटों की पतझड़ के बीच भी वह मजबूती से खड़े रहे थे। दिल्ली टीम की निगाहें भी उन्हीं पर होंगी। हालांकि उन्हें खुद की बल्लेबाजी पर भी ध्यान देना होगा, जिसकी वजह से वे मैच गंवा रहे हैं। उनके अधिकतर बल्लेबाज स्मार्ट क्रिकेट के बजाय बड़ा शॉट खेलने की कोशिश कर रहे हैं।
पिछले मैच में आसान जीत के रास्ते में जिस ढंग से उन्होंने गड़बड़ी की, उससे उन्हें कोच से जरूर सुनने को मिली होगी। समस्या यह है कि आइपीएल में अच्छे प्रदर्शन से युवा खिलाडि़यों को चयनकर्ताओं की नजर में आने का मौका मिलता है, जबकि पहले से शामिल खिलाडि़यों को लगता है कि वे कुछ भी करें, राष्ट्रीय टीम में उनके चयन में कोई समस्या होनी ही नहीं है। इसलिए लापरवाही में वे खराब शॉट खेल रहे हैं। हालांकि उन्हें समझना चाहिए कि बेखौफ और लापरवाही के बीच एक बारीक सी लाइन होती है और जब यह टूट जाती है, तो टीमें हारने लगती हैं।