
भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने जो कभी नहीं किया था वह चेन्नई सुपरकिंग्स (सीएसके) के लिए कर डाला। जब वह कप्तान थे तो भारतीय टीम के खिलाफ कई फैसले लिए गए लेकिन उन्होंने कभी इस तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी लेकिन इंडियन प्रीमियर लीग में चेन्नई सुपरकिंग्स के लिए वह सिर्फ एक गलत फैसले के कारण बाउंड्री से मैदान में घुस आए। निश्चित तौर पर इसकी जितनी आलोचना की जाए वह कम है। उसके अलावा आइपीएल गवर्निग काउंसिल ने उन पर कोई प्रतिबंध लगाए बिना सिर्फ 50 फीसद मैच फीस का जुर्माना लगाकर एक गलत रवायत को जन्म दे दिया है। अब सवाल उठ रहे हैं कि अगर यही काम किसी अन्य खिलाड़ी ने किया होता तो क्या उसे इतनी आसानी से छोड़ दिया जाता।
चेन्नई सुपरकिंग्स के कोच स्टीफन फ्लेमिंग ने इतना कहकर अपना बचाव किया है कि नोबॉल पर अंपायरों के साथ धौनी के ‘असामान्य’ टकराव के लिए उनसे पूछताछ की जाएगी, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए कप्तान के रवैये का बचाव किया कि वह ‘स्पष्टीकरण’ की मांग कर रहे थे। इससे साफ है कि जब आइपीएल गवर्निग काउंसिल ने कुछ नहीं किया तो एन. श्रीनिवासन वाली सीएसके क्या करेगी?
राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ गुरुवार रात आइपीएल मैच में नोबॉल पर एक फैसले को लेकर धौनी डगआउट से निकलकर अंपायर उल्हास गंधे से बहस करने लगे थे। मैदानी अंपायर ने नोबॉल का इशारा कर दिया था लेकिन लेग अंपायर ने उसे पलट दिया। यहां से मैच बदल सकता था और इसी कारण धौनी मैदान के अंदर आ गए थे। हालांकि लेग अंपायर ब्रूस आक्सनफोर्ड ने रेफरी को बताया है कि धौनी ने हमारे साथ अभद्रता नहीं की।
फ्लेमिंग ने कहा कि वह उस फैसले से नाराज थे कि नोबॉल देकर उसे वापस क्यों लिया गया। वह स्पष्टीकरण चाहते थे। आम तौर पर वह ऐसा नहीं करते हैं और मुझे पता है कि आने वाले समय में उनसे यह सवाल बार-बार पूछा जाएगा।
उधर राजस्थान रॉयल्स के बल्लेबाज जोस बटलर ने कहा कि मैं तब सीमा रेखा पर खड़ा था। ऐसे में मुझे पता नहीं है कि आखिर हुआ क्या था। मुझे पता नहीं है कि ऐसा करना सही है या नहीं। जाहिर तौर पर आइपीएल में तनाव ज्यादा चल रहा है और हर रन मायने रखता है। हां, यह खेल का बड़ा क्षण था, लेकिन क्या पिच पर कदम रखना काफी सही है? शायद नहीं।’
उधर आइपीएल की तरफ से मेल जारी करके कहा गया है कि सीएसके के कप्तान धौनी पर मैच फीस का 50 प्रतिशत जुर्माना लगाया गया है। उन्होंने जयपुर में राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ मैच के दौरान आइपीएल आचार संहिता का उल्लंघन किया। धौनी ने आइपीएल की आचार संहिता के लेवल 2 के अपराध 2.20 के तहत सजा स्वीकार कर ली है। फ्रेंचाइजी खिलाडि़यों की जगह जुर्माना भरेगी।
राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ मैच के अंतिम ओवर की चौथी गेंद बेन स्टोक्स ने मिशेल सेंटनर को कमर की ऊंचाई पर फेंकी। शुरू में ऐसा लगा कि अंपायर गंधे सिर्फ नोबॉल का इशारा करने वाले थे। धौनी इससे एक गेंद पहले ही आउट हुए थे और उन्होंने जब देखा कि अंपायर ने नोबॉल का फैसला वापस ले लिया है तो वह अपना आपा खो बैठे और खेल के दौरान ही मैदान पर आ गए। वह अंपायर से बहस करने लगे। लेग अंपायर ऑक्सनफोर्ड के धौनी को मैदान छोड़कर जाने से कहने से पहले वह गंधे के साथ काफी गुस्से से बातें करते नजर आ रहे थे।
‘धौनी का गुरुवार रात मैदान पर आना अंपायरों के खिलाफ सबसे अपरिपक्व विरोध है। मुझे समझ नहीं आता कि खेल के जानने वाले स्थापित सितारों के खिलाफ ईमानदार अभिव्यक्ति से डरते क्यों हैं। यहां तक कि धौनी पर किसी बच्चे की तरह 50 प्रतिशत जुर्माना लगाना शर्मनाक और बुजदिली भरा है।’
‘मेरा मानना है कि कई चीजों में सुधार हुआ है और सुधार के लिए हमेशा गुंजाइश रहती है। अंपायरिंग के स्तर की बात करें तो यह आसान काम नहीं है और आप उन (अंपायरों) पर जितना अधिक दबाव बनाओगे, मुश्किलें उतनी अधिक बढ़ती जाएंगी। आप जानते हैं कि जब तक सही फैसला होगा, तब तक चीजें सही रहेंगी। हां, इस टूर्नामेंट में हमने देखा कि चीजें सीमा से थोड़ा बाहर गई हैं लेकिन अगर पूरे मैच के दौरान अंपायरिंग में निरंतरता हो तो फिर कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।’
‘कप्तान (धौनी) का पिच पर आना सही नहीं है। मुझे पता है कि वह एमएस धौनी हैं और इस देश में कुछ भी कर सकते हैं, लेकिन आपको डगआउट से निकलकर अंपायर पर अंगुली उठाने की अनुमति नहीं है। यह पूरी तरह से गलत है। आपने बतौर कप्तान गलत मिसाल पेश की है।’