कैलाश का बड़ा खुलासा- मेरे घर में भी थे संदिग्ध घुसपैठिए, एक साल से आतंकवादी कर रहा था मेरी रैकी

इंदौर. भाजपा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने नागरिकता संशोधन कानून पर बोलते हुए कहा कि उनके घर में ही संदिग्ध घुसपैठिए मौजूद थे। ये लोग विदेशी हो सकते थे। लेकिन उसकी कोई रिपोर्ट उनकेद्वारा नहीं की गई। कैलाश विजयवर्गीय ने ये खुलासा गुरुवार को संस्था सेवा सुरभि द्वारा झंडा ऊंचा रहे हमारा अभियान के तहत आयोजित लोकतंत्र, संविधान, नागरिकता विषय पर आयोजित परिसंवाद में बोलते समय किया।

परिसंवाद में मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज शर्मा और समाजसेवी अनिल त्रिवेदी वक्ता के रूप में और शहर के प्रबुद्धजन मौजूद थे। केंद्र सरकार द्वारा बदले गए नागरिकता संशोधन कानून पर बोलते हुए विजयवर्गीय ने बंगाल और अन्य सीमावर्ती राज्यों में हो रहे घुसपैठ का जिक्र किया। इस दौरान उनका कहना था देश में घुसपैठ किस हद तक है ये मेरे साथ हुई घटना से ही पता चलता है। मेरे घर में चल रहे रिनोवेशन के काम के लिए आए लोगों के सुपरवाइजर से पूछा तो बताया बंगाल के हैं। चूंकि मैं बंगाल में घूमा हूं, इसलिए मैंने ये बंगाल में किस जिले से हैं तो कुछ बता नहीं पाए। कैलाश ने एक और खुलासा किया कि एक साल से एक आतंकवादी उनकी रैकी कर रहा था।

विजयवर्गीय को मिली है जेड प्लस सुरक्षा

विजयवर्गीय के इस खुलासे के बाद उनकी सुरक्षा व्यवस्था पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं। विजयवर्गीय को केंद्र सरकार की ओर से जेड प्लस सुरक्षा दी गई है। ऐसे में उनके घर में ही इस तरह से संदिग्ध लोगों के होने से उनकी सुरक्षा व्यवस्था पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं। सीएए देश के हित में कैलाश ने परिसंवाद के दौरान सीएए को देश के हित में बताया। उन्होंने कहा इस कानून के बाद देश में रह रहे 130 करोड़ लोगों में से किसी की नागरिकता नहीं जाएगी। उन्होंने कहा देश में 400 विश्वविद्यालयों में से केवल 5 में विरोध हो रहा है।

कैलाश का बड़ा खुलासा- मेरे घर में भी थे संदिग्ध घुसपैठिए, एक साल से आतंकवादी कर रहा था मेरी रैकी
‘पांच गांव भी नहीं दूंगा’ वाला रवैया क्यों

वहीं परिसंवाद के दौरान कांग्रेस नेता पंकज शर्मा ने सवाल खड़े किए कि लोकतंत्र में सबकी बात सुनना चाहिए और संवाद के जरिए उसका निराकरण होना चाहिए। उन्होंने सीसीए पर केंद्र सरकार की तुलना महाभारत के दुर्योधन से करते हुए कहा पांच गांव भी नहीं दूंगा वाला रवैया यों अपनाया जा रहा है।

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चुनावी राजनीति लोकतंत्र नहीं

समाजसेवी अनिल त्रिवेदी ने लोकतंत्र को लेकर कहा वर्तमान में चुनावी राजनीति को ही लोकतंत्र मान लिया गया है। जबकि चुनावी राजनीति अलग होती है और लोकतंत्र अलग। लोकतंत्र में किसी को गलती करने की छूट है, लेकिन किसी को अपना ज्ञान अन्य लोगों पर थोपने की छूट नहीं दी जा सकती।

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