POK में पाक, लद्दाख में चीन एकसाथ क्यों ऐक्टिव? क्या है कोई बड़ी साजिश? करगिल जंग की भी दिला रहा याद

नई दिल्ली
लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर भारत-चीन के सैनिकों के बीच जारी गतिरोध गहराता जा रहा है। पैंगोंग सो झील (Pangong Tso Lake) से सटे फिंगर एरिया में चीन बंकर बना रहा है (China constructing bunker at finger area in Ladakh) तो गलवान रिजन में 3 जगहों पर वह भारतीय क्षेत्र में आ घुसा (Chinese

सीमा पर चीन यह आक्रामकता ऐसे समय दिखा रहा है जब LoC पर पाकिस्तान की तरफ से लगातार फायरिंग हो रही है, घाटी में पाक प्रायोजित आतंकी हमले बढ़े हुए हैं और पीओके में इस्लामाबाद चुनाव कराने जा रहा है। विशेषज्ञों को मानना है कि LoC और LAC पर पाकिस्तान और चीन का एक साथ ऐक्टिव होना संयोग नहीं है, बल्कि यह एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। यह भारत के खिलाफ कोई गहरी साजिश तो नहीं है? अतीत में चीन की कुटिलताओं को देखते हुए साजिश की आशंका ज्यादा है।

पहले समझते हैं फिंगर एरिया
सबसे पहले तो समझ लेते हैं कि फिंगर एरिया क्या है। पैंगोंग सो झील से सटी पहाड़ी पगडंडियों से बने क्षेत्रों को फिंगर एरिया कहा जाता है। इन पर दोनों ही पक्ष अपना-अपना दावा करते हैं और यही वजह है कि इनको लेकर जब-तब विवाद होता रहता है।

1962 में चीन ने यही से किया था मुख्य हमला
पैंगोंग सो झील 1962 के बाद से ही जब-तब दोनों देशों के बीच तनाव की वजह से सुर्खियों में रहती है। 1962 में चीन ने इसी इलाके में भारत पर मुख्य हमला बोला था।
2017 में पैंगोंग सो में हुई थी भारत-चीन सैनिकों में हिंसक झड़प
अगस्त 2017 में पैंगोंग सो के किनारे भारत और चीन के सैनिक भिड़ गए थे। दोनों ओर से जमकर लात-घूसे चले थे। पत्थरबाजी, लाठी-डंडे और स्टील रॉड से एक दूसरे पर हमले हुए थे। 19 अगस्त 2017 को इसका वीडियो काफी वायरल हुआ था।

पैंगोंग सो झील की रणनीतिक अहमियत
झील की भौगौलिक स्थिति इसे रणनीतिक रूप से बेहद अहम बनाती है। यह चुशुल अप्रोच के रास्ते में पड़ता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक चीन अगर भविष्य में कभी भारतीय क्षेत्र पर हमले की हिमाकत करता है तो चुशुल अप्रोच का इस्तेमाल करेगा क्योंकि इसका रणनीतिक महत्व है। पैंगोंग सो झील के उत्तर और दक्षिण की तरफ से चीन के दुस्साहस की आशंका हमेशा बनी हुई है।

लेह से 54 किलोमीटर दूर है पैंगोंग सो
पैंगोंग सो लेह के दक्षिणपूर्व में 54 किलोमीटर की दूरी पर है। 134 किलोमीटर लंबी यह झील 604 वर्ग किलोमीटर के दायर में फैली हुई है। जिस पॉइंट पर इसकी चौड़ाई सबसे ज्यादा है, वहां यह 6 किलोमीटर चौड़ी है।
झील के 2 तिहाई हिस्से पर चीन का नियंत्रण

पैंगोंग झील तिब्बत से लेकर भारतीय क्षेत्र तक फैली है। इसका पूर्वी हिस्सा तिब्बत में है। इसके 89 किलोमीटर यानी करीब 2 तिहाई हिस्से पर चीन का नियंत्रण है। झील के 45 किलोमीटर पश्चिमी हिस्से यानी करीब एक तिहाई हिस्से पर भारत का नियंत्रण है।
झील तक चीन ने बना रखी है सड़क

चीन ने पैंगोंग सो झील के आस-पास मजबूत सैन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर बना लिया है। झील के किनारों से सटे ऐसे सड़क बना लिए हैं जिनमें भारी और सैन्य वाहन भी आ-जा सकते हैं।
जाड़ों में जम जाती है पैंगोंग सो

पैंगोंग सो झील 14,270 फीट यानी 4,350 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। जाड़ों में यहां तापमान शून्य के बहुत नीचे चला जाता है। इस वजह से यह झील जम जाती है।

पाकिस्तान और चीन की गतिविधियों में दिख रहा तालमेल
एलओसी और एलएसी पर हो रही गतिविधियों पर नजर रखने वालों के मुताबिक पाकिस्तान और चीन की करतूतों में एक तालमेल दिख रहा है और इसे संयोग कहकर खारिज नहीं किया जा सकता। यही वजह है कि सुरक्षा एजेंसियां इन गतिविधियों की बारीकी से निगरानी कर रही हैं। सभी बॉर्डर पर अतिरिक्त चौकसी बरती जा रही है ताकि अगर दोनों पड़ोसी मिलकर कोई हिमाकत करें तो उसे काउंटर किया जा सके। रक्षा प्रतिष्ठानों से जुड़े सूत्रों ने बताया लद्दाख के गलवान रिजन में पहले से ज्यादा भारी सैन्य वाहनों के दिखने के बाद से ही तनाव बना हुआ है।

भारतीय क्षेत्र में 3 पॉइंट्स में घुस आए हैं चीनी सैनिक
ऐसा माना जा रहा है चीनी सैनिकों ने लद्दाख में कम से कम 3 पॉइंट्स पर भारतीय क्षेत्र का उल्लंघन किया है। इसमें पट्रोल पॉइंट 14 और रणनीतिक तौर पर अहम गोगरा पोस्ट की नजदीकी जगह शामिल है। रिपोर्ट्स इशारा करती हैं कि इनमें से हर स्पॉट पर चीन के 500 से ज्यादा सैनिक मौजूद हैं, वह भी भारतीय क्षेत्र के भीतर।

फिंगर एरिया में बंकर बना रहा चीन ताकि भारत को बाकी इलाकों तक न हो पहुंच
चीनी सैनिकों की तैनाती के बाद इंडियन आर्मी ने भी इलाके में अतिरिक्त सैनिकों को तैनात कर दिया है। यह भी माना जा रहा है कि पैंगोंग सो झील से सटे फिंगर एरिया में चीन बंकर बना रहा है। भारतीय जवान फिंगर 5 से लेकर 8 तक में कई सालों से पट्रोलिंग करते आ रहे हैं जबकि चीनी सैनिक फिंगर 3 तक के इलाकों में गश्त लगाते हैं। अब चीन फिंगर 3 और 4 के बीच बंकर बना रहा है, जिसका मकसद भारतीय जवानों के बाकी के इलाकों तक पहुंच को रोकना है। पहाड़ी रास्तों पर भी चीनी सैनिकों ने पोजिशन ले ली है। यह सब तब हो रहा है जब चीन ने बीते दिनों पैंगोंग झील में हथियारों से लैस नौकाओं की संख्या बढ़ा दी है, जिससे वह पट्रोलिंग करता है।

India-China Border Face Off: भारत-चीन सीमा पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच टकराव आम है। दोनों देशों के सैनिकों में हाथापाई की खबरें अक्सर आती रहती हैं। कभी-कभी पत्थरबाजी भी हो जाती है। लेकिन पिछले 4 दशकों से कभी भी गोलीबारी जैसी घटना नहीं हुई है। जानिए इसकी वजह।

करगिल जंग के वक्त चीन की कुटिलता की याद हो रही ताजा
एलओसी और एलएसी पर हो रहीं घटनाओं ने करगिल जंग की याद ताजा कर दी है। जब भारत करगिल में पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को ध्वस्त करने में लगा था, उसी वक्त शातिर चीन ने पैंगोंग सो झील के किनारे 5 किलोमीटर लंबी सड़क बनाने में जुट गया। इधर भारतीय सैनिकों को फोकस पाकिस्तानी हिमाकत को काउंटर करने पर था और उधर चीन ने इस मौके का फायदा उठाते हुए रेकॉर्ड समय में झील के किनारे पट्रोलिंग के लिए ट्रैक बना लिया।

आर्टिकल 370 को खत्म किए जाने के बाद पहली ही गर्मी में हो रहा ये सब कुछ
विशेषज्ञों का मानना है कि एलओसी पर सीमा पार गोलीबारी में इजाफा, घाटी में बढ़ते आतंकी हमले और एलएसी में चीन का भारतीय इलाकों में घुसने की घटनाएं एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं। जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म किए जाने और उसे 2 केंद्रशासित राज्यों के रूप में बांटे जाने के बाद की पहली ही गर्मी में ये सभी घटनाएं घट रही हैं।

चीन और पाकिस्तान रच रहे हैं साजिश?
पूर्व डेप्युटी नैशनल सिक्यॉरिटी अडवाइजर एस. डी. प्रधान ने हमारे सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स को बताया, ‘चीन-पाकिस्तान का गठजोड़ पीओके और अक्साई चिन को फिर से हासिल करने की भारतीय कोशिशों से चिंचित है। ये दोनों ही क्षेत्र सीपीईसी (चीन पाक आर्थिक गलियारा) के लिए तो अहम है ही, ‘अफगानिस्तान में भारत के प्रभाव को सीमित’ करने के लिहाज से भी अहम हैं। लिहाजा चीन और पाकिस्तान इन (पीओके और अक्साई चिन) पर अपने नियंत्रण को और मजबूत करने की योजना बना रहे हैं। इससे वे अफगानिस्तान में भारत के प्रभाव को भी सीमित कर पाएंगे।’

चीन-पाक गठजोड़ के इशारे पर नेपाल ने भी जारी किया नक्शा?
उन्होंने बताया कि भारत पर दबाव बढ़ाने के लिए चीन और पाकिस्तान अब नेपाल का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने बताया, ‘भारत को दबाव में लाने के लिए नेपाल का भी इस्तेमाल हो रहा है। नेपाल ने हाल ही में नया नक्शा जारी करते हुए भारतीय इलाकों को भी उसमें शामिल किया है और कालापानी क्षेत्र को अपने कब्जे में लेने का दंभ भर रहा है। ऐसा लग रहा है कि यह भी चीन-पाक गठजोड़ के ही इशारे पर ही हुआ है।’

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