
लोकसभा चुनाव के इस मौसम में कुछ शहर खासे चर्चा में हैं। इन्हीं में से एक है दक्षिण भारत का वायनाड। केरल में बसा खूबसूरत जिला वायनाड प्रदेश के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। सुबह के समय यहां के पहाड़ी गांवों से उठती धुंध और मानसून की झमाझम बारिश के अलावा इस स्थान के और भी कई आकर्षण हैं। वायनाड का अर्थ होता है ‘धान के खेतों का गांव’। यह ‘वायल’ और ‘नाडु’ नामक दो शब्दों से मिलकर बना है। वायल यानी धान के खेत और नाडु यानी गांव। यहां पहाड़ियों की तलहटी में दूर-दूर तक धान के खेत दिखते हैं।
गर्मी की तेजी बढ़ने के साथ चुनावी सरगर्मी का जोर भी बढ़ रहा है। ऐसे में अखबारों, टीवी चैनलों, डिजिटल से लेकर सोशल मीडिया तक पर देश के अलग-अलग हिस्सों के बारे में जानने की उत्सुकता भी लोगों में खूब है। इस चुनावी मौसम में केरल का वायनाड भी चर्चा में है। यह जिला दक्कन की पहाड़ियों के दक्षिणी छोर की चोटी पर स्थित है, जो मुख्य रूप से दूर-दूर तक फैली पश्चिमी घाट की पहाड़ियों के लिए जाना जाता है। इस जिले का ज्यादातर हिस्सा जंगलों से आच्छादित है। आप यहां मानव और प्रकृति का अद्भुत सामंजस्य देख सकते हैं। यहां की ऊंची पहाड़ियां और घने जंगल जंगली जानवरों के प्राकृतिक आवास हैं। साथ ही, यह इलाका स्थानीय आदिवासी समुदायों का आवास भी है। सैलानी भी यहां चुंबक की तरह खिंचते चले आते हैं। कोई यहां मौजूद झरनों का आनंद लेने आता है तो कोई सड़कों पर सहज ही दिखने वाले हिरणों के झुंड देखने के मोह में खिंचा चला आता है। स्थानीय निवासी अशोक कुमार कहते हैं, ‘मुझे गर्व है कि मैं इस शहर का हूं। क्या आपने सड़क पर सहज ही दिख जाते हिरण कहीं और देखे हैं? यही तो है इस जगह की खासियत।’ वे आगे कहते हैं, ‘लोग कह सकते हैं कि केरल के अन्य स्थानों के मुकाबले वायनाड उतना विकसित नहीं है, पर हमें पर्यावरण की
ऊंचाई है कुदरती वरदान: इस स्थल का अछूता प्राकृतिक सौंदर्य एक पर्यटक के अंत:करण को भावविभोर कर देता है। हरियाली की अद्भुत छटा अपने मोहपाश में इस तरह बांधती है कि यहां से बाहर निकलने का मन ही नहीं करता। पहाड़ियों पर फैली अथाह हरियाली के नीचे केले, अनन्नास, नारियल, कॉफी, काजू और काली मिर्च की फसलों का रंग मोह लेने से पहले मन को गहरे हरे रंग में सराबोर करते हुए चलता है। दरअसल, वायनाड बहुत सुंदर है और उसकी सुंदरता तक पहुंचने के लिए बहुत ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती। जिले को प्रकृति प्रदत्त ऊंचाई का अद्भुत फायदा मिला है। विषुवतीय वर्षा वन के लिए सबसे जरूरी चीज वर्षा इसी ऊंचाई का परिणाम है। इससे यह स्थल बागवानी से लेकर सामान्य कृषि के लिए काफी उपयुक्त हो जाता है। यही ऊंचाई यहां सुंदर प्राकृतिक दृश्यावलियां निर्मित करती है, जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है। घुमावदार सड़कें पहाड़ियों से लिपटी रस्सी की तरह ऊपर बढ़ती जाती है और क्रमश: हरियाली व जीवन में प्रकृति के अद्भुत रंग के चित्र खुलते जाते हैं ।
इतिहास के झरोखे से: किसी भी पर्यटन स्थल का ऐतिहासिक होना उसके सौंदर्य को कई गुना बढ़ा देता है। वायनाड विशेष भौगोलिक पहचान लिए हुए है। इसी कारण यह स्थान सामरिक महत्व का भी रहा है। प्राचीन काल में केरल के इस क्षेत्र की भूमि ‘वेदा’ जनजाति के राजाओं के अधीन रही। आधुनिक भारत के इतिहास में यह टीपू सुल्तान के अधीन भी रहा। हैदर अली ने जब मैसूर का शासन ग्रहण किया, तब उसने वायनाड को अपने कब्जे में ले लिया था। बाद के वर्षों में वायनाड परशि राजा के हाथ में आ गया। परशि राजा अंग्रेजों के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध के जनक माने जाते हैं और केरल की स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में प्रसिद्ध हैं। श्रीरंगपट्टनम के युद्ध के बाद टीपू सुल्तान ने संपूर्ण मलाबार अंग्रेजों को दे दिया था। इसके बाद अंग्रेजों ने परशि राजा पर दबाव
बढ़ा दिया। राजा ने जंगल में शरण लेते हुए गुरिल्ला लड़ाई के जरिये अंग्रेजों को कई बार शिकस्त दी। बाद में अंग्रेजों को उनका मृत शरीर ही मिला। स्वतंत्र रहने की चाह में राजा ने जंगल के भीतरी हिस्से में खुद को खत्म कर लिया था। वायनाड में परशि राजा से संबंधित स्मारक स्वतंत्र जीवन जीने की उनकी उत्कट चाह की याद दिलाता है।
कुरुवा द्वीप का सौंदर्य: यहां बहने वाली कबीनी नदी के बीच स्थित कुरुवा द्वीप प्रकृति में मौजूद विविध रंगों को महसूस करने का सबसे उपयुक्त स्थान है। एक ओर वायनाड जहां हरियाली के आगोश में लिपटा रहता है, वहीं यह द्वीप सौंदर्य को नए मायने देते हुए नजर आता है। करीब 900 एकड़ में फैले इस द्वीप में घनी आबादी के साथ-साथ कुछ अतिविशिष्ट पेड़-पौधों का भी घर है। पर्यटक यहां अपने प्रियजनों के साथ शहरी भागमभाग से दूर सुकून भरे पलों को जीने आते हैं। यहां आप बांस से बनी नावों में बैठकर नदी में भ्रमण का आनंद ले सकते हैं। आसपास बसी आबादी में घूमकर यहां की स्थानीय संस्कृति को समझने के लिए भी बहुत से लोग यहां आते हैं। बांस से बने पुलों के माध्यम से द्वीप के बीच से गुजरने वाली धाराओं को पार करना अपने आप में एक अद्भुत अनुभव होता है।
बांस की नगरी: उरवु वायनाड के प्रसिद्ध पर्यटन केंद्रों में से एक है। यहां बांस से साजो-सामान बनाने की स्थानीय कला को पुनर्जीवित व प्रचलित करने के लिए बांस उद्योग शुरू किया गया था। उरवु का अर्थ होता है ‘बांस की नगरी’ और यह नाम इस स्थान के लिए उपयुक्त भी है। यहां आने वाले पर्यटक आसानी से देख सकते हैं कि किस प्रकार स्थानीय निवासी बांस के बनाए उत्पादों और उपकरणों से अपनी आजीविका चलाते हैं। यहां बांस से छोटे-छोटे उपहारों से लेकर बड़े-बड़े घर तक बनाए जाते हैं। यह स्थान वायनाड की अर्थव्यवस्था में दो तरह से योगदान करता है। अव्वल, तो यहां बांस के माध्यम से स्थानीय लोगों की आजीविका चलती है, दूसरे यह पर्यटन के लिए भी सबसे अच्छा विकल्प है। यहां आने वाले पर्यटक बांस से विभिन्न प्रकार के सामान बनाना सीख सकते हैं और स्थानीय निवासियों की जीवन पद्धति को भी करीब से देख-समझ सकते हैं।